वह प्रेमपत्र लिखता रहा

गांव के परिवेश को अपनी कल्पनाओं में जीवंत कर खेत खलिहान को अपने लेखन का मुख्य केंद्र बनाने वाली प्रख्यात साहित्यकार एवं हिंदी अकादमी की पूर्व उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा का मानना है कि जब पढ़ेंगे तभी लिखेंगे।

वे स्कूल की पढ़ाई के वक्त अपने प्रेमपत्र की बातें करना नहीं भूलती। कहतीं हैं, मेरी कहानी नए लोगों को पढ़ने की प्रेरणा देगी। वह गोरखपुर में लिटरेरी फेस्टिवल में शामिल होने आई थीं। अमर उजाला से साहित्य से लेकर निजी जिंदगी को लेकर बेझिझक बातें साझा कीं।