जाज़ और जोश दोनों का नाम उर्दू अदब में एक बड़ा ओहदा रखता है। दोनों ही हमवक़्त शायर हैं और ख़ासे मित्र भी रहे हैं, ऐसे में आपस में हास्य-विनोद होना भी लाजिमी है। उसी में से एक किस्सा आपके लिए पेश है।
मजाज़ लखनवी बहुत पीने लगे थे। एक दिन उनके दोस्त जोश मलीहाबादी ने कहा, “मजाज़ तुम घड़ी रखकर पिया करो, ताकि वक़्त का अन्दाज़ा रहे।” छूटते ही मजाज़ ने कहा, “अम्मां हम घड़ी नहीं घड़ा रखकर पीने वालों में से हैं।”
जब जोश मलीहाबादी ने कहा, “मजाज़ तुम घड़ी रखकर पिया करो”