कौन हैं ‘दीनानाथ नादिम’ जिनकी कविता लोकसभा में बजट के दौरान गूंजी

 


कौन हैं ‘दीनानाथ नादिम’ 



बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कश्मीरी भाषा में एक कविता पढ़ी जिसका अनुवाद उन्होंने बताया कि 
हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग़ जैसा
हमारा वतन डल लेक में खिलते हुए कमल जैसा
हमारा वतन नौजवानों के गरम खून जैसा
मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन
दुनिया का सबसे प्यारा वतन


आगे वित्त मंत्री ने बताया कि इस कविता को कश्मीरी कवि दीनानाथ नादिम ने लिखा है जिन्हें साहित्य अकादमी से सम्मानित भी किया जा चुका है। जानते हैं कौन हैं दीनानाथ नादिम जिनकी कविता से लोकसभा गूंज उठी।

18 मार्च 1916 को श्रीनगर में पैदा हुए दीनानाथ नादिम ने कश्मीरी कविताओं को नई दिशा दी और उनकी गिनती जल्द ही 20वीं सदी के अग्रणी कवियों में हो गयी। उन्होेंने कश्मीर में प्रगतिशील लेखक संघ की अगुवाई भी की। न सिर्फ़ उनकी कविताएं कश्मीरी भाषा में कश्मीर की मिट्टी से जुड़ी हुई हैं बल्कि उन्होंने हिंदी और उर्दू में भी काव्य कहा है। एक बड़ी संख्या में युवा उनकी कविताओं से प्रभावित थे।